१ न थम जाए वक़्त की राहे, तुम आँहे भरा न करो,
न रूठ जाए रूह जिस्म से, यूँ तुम हँसा न करो।
२ सितारों में ढूंढती हूँ तुझे किनारों पे बैठे हुए,
चेहरों का मायाजाल है, पर्छायियों के कमाल है,
सपनो में भी ढूंढती रहूँ, पर मिलना तो तकदीर का खेल है।
३ जाम है, मेहरबान है, महफ़िल की सजी शाम है,
बस हम ही तनहा है, सोये हुए इस रात की चादर ओढ़े।
४ इन आँखों में जो नींद भर आये, सपने तुम्हारे ही हो,
आंसुओं की बहार जो आये शिकवे तुम्हारे ही हो,
अंधेरो का खेल है जीवन, उसमे उजाला न आये,
किनारे तुम्हारे ही हो, सहारे तुम्हारे ही हो।
५ इंतज़ार था किसी साथी का, जो प्यार से कर दे जीवन रंगीन,
मिल गया ऐसा दोस्त हमें, जो राह से मिटा दे सारे पल ग़मगीन।
६ हजारों कलम से निकले होंगे प्यार के नगमे,
पर हमारी भी पढलो, एक और ही समझ के।
७ रात ले आई फिर वोह हसीं यादों की बारात,
पलकों के साए चला आया ख्वाबों का नरम साथ,
दुनिया तो नींद की चादर ओढ़े पड़ी है,
और हम चुपके से चाहे साजन का संगाथ।
८ मीठी बातों से ये गहरे ज़ख्म भर गए,
प्यारी मुस्कान से इस दिल को चैन दे गए;
शीशे का बना होता ये जिस्म तो टूट दिए होते,
जाते जाते आँखों से ऐसा तीखा वार जो कर गए।
न रूठ जाए रूह जिस्म से, यूँ तुम हँसा न करो।
२ सितारों में ढूंढती हूँ तुझे किनारों पे बैठे हुए,
चेहरों का मायाजाल है, पर्छायियों के कमाल है,
सपनो में भी ढूंढती रहूँ, पर मिलना तो तकदीर का खेल है।
३ जाम है, मेहरबान है, महफ़िल की सजी शाम है,
बस हम ही तनहा है, सोये हुए इस रात की चादर ओढ़े।
४ इन आँखों में जो नींद भर आये, सपने तुम्हारे ही हो,
आंसुओं की बहार जो आये शिकवे तुम्हारे ही हो,
अंधेरो का खेल है जीवन, उसमे उजाला न आये,
किनारे तुम्हारे ही हो, सहारे तुम्हारे ही हो।
५ इंतज़ार था किसी साथी का, जो प्यार से कर दे जीवन रंगीन,
मिल गया ऐसा दोस्त हमें, जो राह से मिटा दे सारे पल ग़मगीन।
६ हजारों कलम से निकले होंगे प्यार के नगमे,
पर हमारी भी पढलो, एक और ही समझ के।
७ रात ले आई फिर वोह हसीं यादों की बारात,
पलकों के साए चला आया ख्वाबों का नरम साथ,
दुनिया तो नींद की चादर ओढ़े पड़ी है,
और हम चुपके से चाहे साजन का संगाथ।
८ मीठी बातों से ये गहरे ज़ख्म भर गए,
प्यारी मुस्कान से इस दिल को चैन दे गए;
शीशे का बना होता ये जिस्म तो टूट दिए होते,
जाते जाते आँखों से ऐसा तीखा वार जो कर गए।
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